अखिलेश यादव का सरकार पर शायराना तंज- ‘जिसकी तासीर में ज़हर है वो चीज़ कैसे बदलेगी’

चित्रकूट| समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार कामदगिरि की परिक्रमा लगाई और भगवान कामतानाथ की पूजा अर्चना कर पहली बार लिखित हाजरी दी। अतिथि रजिस्टर में लिखा’ कामतानाथ की कृपा हो’।
घने कोहरे के बीच उनका काफिला शुक्रवार की सुबह साढ़े सात बजे कर्वी स्थित लोक निर्माण विभाग के डाक बंगला से कामदगिरि प्रमुख द्वार पहुंचा। कामदगिरि प्रमुख के अधिकारी संत मदन गोपाल दास ने पूर्व मुख्यमंत्री को विधिवत भगवान कामतानाथ की पूजा अर्चना कराई। अतिथि रजिस्टर में पूर्व सीएम ने अंग्रेजी में लिखा ‘कामतानाथ की कृपा हो’।
संत मदनगोपाल दास ने बताया कि उनके कहने पर यही कामना उन्होंने हिदी में लिखी। साथ ही रजिस्टर का अवलोकन किया। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आदि हस्तियों के हस्ताक्षर व कामना को देखा। फिर पूर्व सीएम ने समर्थकों के साथ कामतानाथ और जय सियाराम के जयकारों के साथ पंचकोसी परिक्रमा की। खोही की जलेबी वाली गली में करीब दस मिनट रुके दुकानदारों के साथ बैठकर चाय पी और उनका दुख दर्द सुना।
दुकानदारों ने अतिक्रमण अभियान के तहत उजड़ने की शिकायत की। कामतानाथ प्राचीन द्वार, तृतीय मुखारबिद, बरहा हनुमान मंदिर, भरत मिलाप समेत कई प्रमुख मंदिरों में दर्शन किए। इस मौके पर पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्ता व बालकुमार पटेल, डॉ निर्भय सिंह पटेल, जिलाध्यक्ष अनुज यादव, भइयालाल यादव, शिवशंकर सिंह यादव, साहबलाल द्विवेदी रहे।
अखिलेश साफ्ट हिंदुत्व की राह पर बता दें कि 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता गंवाने और 2019 में करारी मात खाने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी को मुस्लिम छवि से बाहर निकालने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की दिशा में कदम बढ़ाया है. इसी कड़ी में वे पिछले महीने आजमगढ़ से वापस लखनऊ लौटते समय अयोध्या में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खुद को रामभक्त बताया था. इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि जब राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा तो वह पत्नी और बच्चों के साथ रामलला के दर्शन करने आएंगे. साथ ही अखिलेश यादव ने यह भी कहा था कि अयोध्या में सैंदर्यीकरण की शुरुआत उन्होंने ही की थी और पारिजात का वृक्ष भी लगवाया था.
अयोध्या और चित्रकूट की यात्रा और मंदिर और मठों में जाकर शीश झुकाकर 2022 के चुनाव से पहले अखिलेश यादव ऐसे राजनेता के तौर पर अपनी छवि बनाना चाहते हैं जो समावेशी हो. इससे पहले अखिलेश यादव ने अपने आपको कृष्ण भक्त के रूप में पेश किया था. अखिलेश ने इटावा के सेफई में भगवान श्री कृष्ण की 51 फीट ऊंची प्रतिमा लगवाई. इसके अलावा अब वो लगातार मंदिरों में दर्शन करते और माथा टेकते हुए नजर आ रहे हैं.
अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा, ”बदलने का चाहे करें वो वादा कड़वाहट को मिठास में, पर जिसकी तासीर में ज़हर है वो चीज़ कैसे बदलेगी?” इसके साथ उन्होंने हैशटैग किसान का भी प्रयोग किया.