इसरो / 15 जुलाई को लॉन्च होगा चंद्रयान-2, चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनेगा भारत
चंद्रयान-2 लॉन्चिंग के लिए पूरी तरह तैयार है।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने मंगलवार को कहा कि 15 जुलाई कोचंद्रयान-2 तड़के 2.51 बजे आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। यान 6 या 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा।
मिशन की सफलता के साथ ही भारत चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला चौथा देश होगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने यानों को चांद की सतह पर भेज चुके हैं। अभी तक किसी भी देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास यान नहीं उतारा।
मिशन पर खर्च होंगे 603 करोड़ रुपए
चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। 380 क्विंटल वजनी स्पेसक्राफ्ट में 3 मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) होंगे। ऑर्बिटर में 8, लैंडर में 3 और रोवर में 2 यानी कुल 13 पेलोड होंगे। पूरे चंद्रयान-2 मिशन में 603 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। जीएसएलवी की कीमत 375 करोड़ रु. है।
तीनों मॉड्यूल कई प्रयोग करेंगे
इसरो के मुताबिक- ऑर्बिटर अपने पेलोड के साथ चांद का चक्कर लगाएगा। लैंडर चंद्रमा पर उतरेगा और वह रोवर को स्थापित करेगा। ऑर्बिटर और लैंडर मॉड्यूल जुड़े रहेंगे। रोवर, लैंडर के अंदर रहेगा। रोवर एक चलने वाला उपकरण रहेगा जो चांद की सतह पर प्रयोग करेगा। लैंडर और ऑर्बिटर भी प्रयोगों में इस्तेमाल होंगे।
11 पेलोड लेकर गया था चंद्रयान-1
चंद्रयान-1 अक्टूबर 2008 में लॉन्च हुआ था। उस वक्त यह भारत के 5, यूरोप के 3, अमेरिका के 2 और बुल्गारिया का एक (कुल 11) पेलोड लेकर गया था। 140 क्विंटल वजनी चंद्रयान-1 को चांद के सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो 11 साल बाद एक बार फिर चंद्रमा की सतह पर जाने को तैयार है। देश के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 में कई खासियतें हैं। चंद्रयान-2 में एक भी विदेशी पेलोड (अंतरिक्ष यान का हिस्सा) नहीं होगा। मिशन में 13 भारतीय पेलोड (अंतरिक्ष यान का हिस्सा) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक उपकरण शामिल किया गया है। वहीं इसके विपरीत भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 के ऑर्बिटर में 3 यूरोप और 2 अमेरिका के पेलोड्स थे।
इसरो के मुताबिक 13 भारतीय पेलोड (ऑर्बिटर पर आठ, लैंडर पर तीन व रोवर पर दो) और एक अमेरिकी पैसिव एक्सपेरिमेंट (उपकरण)..।’ हालांकि, इसरो ने इनकी उपयोगिता या उद्देश्य के बारे में जानकारी नहीं दी। 3.8 टन वजनी इस अंतरिक्ष यान के तीन मॉड्यूल हैं। इनमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) व रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। इसके लिए सभी मॉड्यूल को तैयार किया जा रहा है।
इसरो के मुताबिक इस अभियान में जीएसएलवी मार्क-3 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जाएगा। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर उसका चक्कर लगाते हुए वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। लैंडर (विक्रम) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा और रोवर (प्रज्ञान) अपनी जगह पर प्रयोग करेगा। इन दोनों में भी प्रयोग के लिए उपकरण लगाए गए हैं।
इसरो चेयरमैन के. सिवन ने जनवरी में कहा था, ‘हम (चंद्रमा पर) उस जगह पर उतरने जा रहे हैं, जहां कोई नहीं पहुंचा है..यानी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर। इस क्षेत्र को अब तक खंगाला नहीं गया है।’ चंद्रयान-2 पिछले चंद्रयान-1 मिशन का उन्नत संस्करण है। चंद्रयान-1 अभियान करीब 10 साल पहले किया गया था।
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में क्यो हुई देरी ?
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से पहले कुछ टेस्ट के लिए लॉन्चिंग को अप्रैल 2018 और फिर अक्टूबर 2018 तक टाला गया। जून 2018 में इसरो ने फैसला लिया कि कुछ जरूरी बदलाव करके चंद्रयान- 2 की लॉन्चिंग जनवरी 2019 में होगी। लेकिन पहले इसे फरवरी 2019 तक टाला गया और फिर अप्रैल 2019 में भी इसकी लॉन्चिंग की खबर तो आई लेकिन एकबार फिर लॉन्चिंग को टाल दिया गया। लेकिन अब इसरो ने कहा है कि 9 से 16 जुलाई के बीच चंद्रयान-2 को लॉन्च किया जाएगा।
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