गरीब किसान की बेटी स्मृति पटेल बनी सिविल जज;

लहरोंसे डरकर नौका पार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।
मंजिल हासिल की जा सकती है बस हौंसला जिंदा रहना चाहिए। किसान की बेटी स्मृति पटेल मुफलिसी में भी सिविल जज बनकर न केवल अपने पिता लोकनाथ पटेल के सपने को पूरा किया बल्कि शहर और गांव में युवा पीढ़ी की रोल मॉडल बनी। आर्थिक संकट के बावजूद स्मृति ने न सिर्फ अपने लिए, बल्कि उन तमाम लड़कियों के लिए भी मिसाल पेश की है जो आगे पढऩा लिखना चाहती हैं और बता दिया कि जब्जे के आगे पहाड़ जैसी मुसीबतें भी घुटने टेक देती हैं।
हौंसले के आगे आर्थिंग तंगी भी टेक दिए घुटने
रीवा जिले के खजुहा गांव के किसान लोकनाथ पटेल के चार बच्चो में दूसरे नंबर की बेटी स्मृति बताती हैं कि चौथी तक रीवा में रहकर अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई की। आर्थिक स्थित ठीक नहीं होने पर पिता जी सभी को लेकर गांव चले गए। ५वीं की पढ़ाई गांव के ही इजीएस स्कूल में शुरू की तो लोग ताने मारने लगे। ६वीं कक्षा में पढऩे के लिए फिर शहर आ गए। रेवांचल पब्लिक स्कूल ने आंग्रेजी मीडियम के बजाए हिंदी मीडियम में नाम लिखा। ८वीं तक हिंदी मीडियम की पढ़ाई के बाद। पढ़ाई के लिए पिता ने चार एकड़ जमीन बेची और भाइयो का भी एडमीशन अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने लगे।
स्मृति ने जिद कर बदली जिंदगी की दुनिया
भाई अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कर रहे थे तो मैने भी जिद किया तो ९वीं से 12वीं तक अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की ओर कामन लॉ एडमीशन टेस्ट की तैयारी की। कुछ घरेलू कारण से टेस्ट में शामिल नहीं हो सकी। अहिल्या विवि इंदौर में टेस्ट में बैठे तो पहली रैंक आयी। वर्ष 2010 से लेकर 2015 तक बीए-एलएलबी की पढ़ाई की। 86 प्रतिशत रिजल्ट आया। वर्ष 2016 में नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट भोपाल से एलएलएम उत्र्तीण किया। वर्ष 2017-18 की न्यायिक सेवा की परीक्षा पास की। पिता की आर्थिक संकट को देखने के बाद कई बार विचार बदले लेकिन, जब उनके सपने को पूरा करने के कड़ी मेहनत की और सफलता मिली। 24 दिसंबर 2018 को बतौर सिविल जज सागर में कार्यरत हैं।
पिता पेशे से किसान
जिले के खजुहा निवासी पेशे से किसान लोकनाथ पटेल ने पत्रिका से बताया कि उन्होंने मुफलिसी में भी बच्चों के जज्बे को कमजोर नहीं होने दिया। कई बार संकट आया फिर भी हार नहीं माने। बेटी स्मृति को छुट्यिों के दौरान कलेक्टर, एसपी और जजों के बंगले दिखाने के लिए ले जाते थे और कहते थे कि बिटिया इस तरह के मकान बनवाना मेरे बस का नहीं। ये बंगले सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई से मिल सकते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए जमीन बेची और गांव का ताना सहने के बाद ही हार नहीं माने। बेटी सिविल जज बनने में सफल रही और बेटा धर्मेन्द्र इंजीनियर बन गया। बेटी की देखी सीखा बेटा धनेन्द्र भी इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट की प्रवेश परीक्षा पास कर पढ़ाई कर रहा है। बेटी आकृति पटेल भी पढ़ाई कर रही है। पत्नी चंद्रकला पटेल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है।
युवाओं को संदेश
पिता जी दिखाते थे अफसरों के बंगले और बेटी स्मृति मुफलिसी में भी बन गई सिविल जज
स्मृति पटेल मुफलिसी में भी सिविल जज बनकर न केवल अपने पिता लोकनाथ पटेल के सपने को पूरा किया बल्कि शहर और गांव में युवा पीढ़ी की रोल मॉडल बनी
स्मृति पटेल का मानना है कि जीवन में सफल होने के लिए लक्ष्य जरूरी है। इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है कि हम अपने लक्ष्य के प्रति कितने संवेदनशील हैं। गांव में पैदा होने का मतलब यह नहीं कि केवल किसानी और मजदूरी में ही भविष्य है। हर क्षेत्र में रास्ते खुले हैं, संकल्प के साथ बढ़ें कामयाबी मिलेगी। उन्होंने कहा कि न्यायिक सेवा एक बड़ी जिम्मेदारी का काम है। इसके साथ ही वह गांव के युवाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे ले जाने का प्रयास करेंगे ताकि अन्य कई युवा भी न्यायिक सेवा से जुड़ें।