चंद्रयान-2 / इसरो चीफ भावुक हुए तो मोदी ने उन्हें गले लगाया, दुनियाभर से लोगों ने इसे अद्भुत क्षण बताया
बेंगलुरु: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार सुबह इसरो सेंटर पहुंचे और वैज्ञानिकों से मुलाकात की। जब वे मुख्यालय से निकलने लगे तो इसरो प्रमुख के सिवनभावुक हो गए और रोने लगे।यह देख मोदी ने फौरन उन्हें गले लगा लिया। करीब 26 सेकंड तक मोदी उनकी पीठ थपथपाते रहे। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा, “भले ही आज रुकावटें हाथ लगी हों, लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा, बल्कि और बढ़ा है। भले ही हमारे रास्ते में आखिरी कदम पर रुकावट आई हो, लेकिन हम मंजिल से डिगे नहीं है। अगर किसी कला-साहित्य के व्यक्ति को इसके बारे में लिखना होगा, तो वे कहेंगे कि चंद्रयान चंद्रमा को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा। आज चंद्रमा कोआगोश में लेने की इच्छाशक्ति और मजबूत हुई है।”
भावुक सिवन कोप्रधानमंत्री मोदी द्वारा गलेलगाने के बाद सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रियाएं आईं। दुनियाभर से लोगों ने इस क्षण को अद्भुत बताया।
As Commissioner of Police, I was witness to see the PM consoling a sad Dr Sivan, So much of Leadership, Calmness in Crisis,Restoring Confidence to Learned Scientific Community and creating Hope and Progress for the Nation….Valuable Lessons I learnt today… pic.twitter.com/WriFjL9pET
— Bhaskar Rao IPS (@deepolice12) September 7, 2019
बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर भास्कर राव ने ट्वीट किया- मैंने प्रधानमंत्री को उदास डॉ. सिवन को सांत्वना देते हुए देखा। बेहतरनेतृत्व, संकट के समय संयम, वैज्ञानिक समुदाय में विश्वास जगाना और राष्ट्र को भरोसा देना,आज मैंने ऐसी कई महत्वपूर्ण चीजें सीखीं।
प्रधानमंत्री जी ने आज इसरो चीफ के साथ पूरे देश को भी भावुक कर दिया
आजतक इतना सम्वेदनशील प्रधानमंत्री देश को नही मिला था।
रात भर का जागे प्रधानमंत्री जी सुबह सुबह इसरो मुख्यालय पहुँच बैज्ञानिकों को प्रोत्साहित कर देश का दिल जीत लिया❤❤ love you Modi ji😘😘 pic.twitter.com/JdxaW9VpHd— Veena (@Veena_Jpr) September 7, 2019
देश का मुखिया ऐसा होना चाहीये…… इसरो के चीफ को डेढ मिनट तक पीएम ने छाती से लगाया,दोनो भावूक हुए,सिवन मोदीजी के गला पकडकर बालक की तरह फूट-फूट कर, रोये…………..बहुत ही भावुक क्षण ! मोदीजी, सिवन जी और सभी वैज्ञानिक पर हमे गर्व है..😰@PMOIndia pic.twitter.com/Akd6kGPIrX
— Hansraj Soni (@hansraj965) September 7, 2019
इसरो चीफ के.सिवन जब भावुक हो गए तो प्रधानमंत्री मोदी जी ने उन्हें एक अभिभावक की तरह गले लगाकर उनके प्रयाशों की सराहना की ओर उनका होंसला बढ़ाया, जिसके पीठ पर श्री @narendramodi जी जैसे प्रधानमंत्री का हाथ हो वह कभी निराश ओर असफल हो ही नही सकते, हमें गर्व है भारतीय वैज्ञानिकों पर।। pic.twitter.com/CuYqC7Pf2Y
— 🇮🇳🚩प्रकाश चंद्र 🚩🇮🇳🙏जय भारत🙏🇮🇳🌹 (@Prakash12Joshi) September 7, 2019
इसरो चीफ़ के साथ हमारे प्रधानमंत्री ये विडियो देख के करोड़ों भारतियों का दिल पसीज गया होगा
चंद्रयान के आख़िरी वक़्त की असफलता ने इसरो चीफ़ सीवन को रूला दिया प्रधानमंत्री ने ऊन्हे गले से लगा लिया भावुक क्षण है ये #Chandrayan2 pic.twitter.com/njockowAGp— Riniti Chatterjee (@Chatterj1Asking) September 7, 2019
‘आप मक्खन नहीं, पत्थर पर लकीर खींचने वाले लोग हैं’
मोदी ने कहा, ‘‘भारत के भाइयो और बहनोंं। कल रात पूरा देश जाग रहा था। हमारे वैज्ञानिक सबसे बड़े काम को अंजाम देने में लगे हुए थे। मैं अपने वैज्ञानिकों से कहना चाहता हूं कि पूरा देश आपके साथ है। आप असाधारण लोग हैं, जिन्होंने देश की तरक्की में अपना अमूल्य योगदान दिया है। आप मक्खन पर नहीं पत्थर पर लकीर खींचने वाले लोग हैं।’’
“मैं कल रात को आपकी(वैज्ञानिकों) मनस्थिति को समझ रहा था। आपकी आंखें बहुत कुछ कह रही थीं। आपके चेहरे की उदासी मैं पढ़ पा रहा था। इसलिए ज्यादा देर मैं आपके बीच नहीं रुका। कई रातों से आप सोए नहीं हैं। मेरा मन करता था कि एक बार सुबह आपको फिर बुलाऊं और बातें करूं। इस मिशन के साथ जुड़ा हर व्यक्ति अलग ही अवस्था में था। बहुत से सवाल थे। सफलता के साथ आगे बढ़ते रहे और अचानक सब दिखना बंद हो जाए। उसपल मैं भी आपके साथ था। मन में स्वाभाविक सवाल आया कि सब क्यों हुआ? वैज्ञानिकों के मन में हर चीज क्यों से शुरू होती है।”
मोदी ने कहा- हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखाकर जाती है:-
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर अपनी शुरुआती दिक्कतों और चुनौतियों से हार जाते, तो इसरो दुनिया की अग्रणी एजेंसियों में स्थान नहीं ले पाता। परिणाम अपनी जगह है, लेकिन पूरे देश को आप पर गर्व है। मैं आपके साथ हूं। हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखाकर जाती है। नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है। ज्ञान का सबसे बड़ा शिक्षक विज्ञान है। विज्ञान में विफलता होती ही नहीं। इसमें प्रयोग और प्रयास होते हैं। हर प्रयोग विकास की नींव रखकर जाता है। हमारा अंतिम प्रयास भले ही आशा के अनुरूप न रहा हो, लेकिन चंद्रयान की यात्रा शानदार-जानदार रही। इस दौरान अनेक बार देश आनंद से भरा। इस वक्त भी हमारा ऑर्बिटर चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। मैं भी इस मिशन के दौरान चाहे देश में रहा या विदेश में रहा, इसकी सूचना लेता रहा। ये आप ही लोग हैं, जिन्होंने पहले प्रयास में मंगल ग्रह पर भारत का झंडा फहराया था। दुनिया में ऐसी उपलब्धि किसी के नाम नहीं थी।
मिशन जारी रहेगा:-
शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चंद्रमा परलैंडिंग से महज 69 सेकंड पहले पृथ्वी से संपर्क टूट गया था।चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा की सतह से 119 किमी से 127 किमी की ऊंचाई पर घूम रहा है। 2379 किलो वजनी ऑर्बिटर के साथ 8 पेलोड हैं और यह एक साल काम करेगा। यानी लैंडर और रोवर की स्थिति पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा।
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