दुनिया की इन 5 ठंडी जगहों पर माइनस के नीचे रहता है तापमान, जानिए कैसे रहते हैं लोग!

उत्तर भारत में ठंड का कहर जारी है. दिसंबर में ही कई शहरों का तापमान माइनस में चला गया है. दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी पारा 3-4 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है. यही नहीं, राजस्थान के माउंट आबू में भी पारा -1.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है. भारत के अलावा दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ती है. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि इतनी ठंडी जगहों पर लोग कैसे रहते हैं.
लद्दाख- हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच लद्दाख 6 महीने तक भारत से कटा रहता है. 1995 में लद्दाख के द्रास इलाके में -60 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था. इन दिनों भी लद्दाख के लेह में माइनस 8.5 डिग्री सेल्सियस और कारगिल का 8.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है. नवंबर महीने से ही लद्दाख में ठंड की तैयारियां शुरु हो जाती हैं. खाने-पीने का सामान जम्मू से आता है. खान-पान के लिए कई विकल्प नहीं होते हैं. गेहूं, जौ, मकई आदि से बने व्यंजन अधिक मात्रा में खाए जाते हैं. वहीं, बकरी और भेड़ का मांस भी वहां के लोगों की डाइट में शामिल होता है. यहां के लोग ठंड के दिनों में थुकपा, चैंग, बटर टी और स्क्यू जैसी चीजें भी खाते हैं. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए लहसून का सूप पिया जाता है. ठंड से बचने के लिए यहां का पहनावा भी काफी अलग होता है. यहां महिला और पुरुष सर्दियों में वुलन ओवरकोटनुमा पहनते हैं, जिसे गउचा के नाम से जाना जाता है. सिर पर वुलन कैप के साथलेदर से तैयार जूते पहने जाते हैं.
ओम्याकोन- रूस के साइबेरिया का गांव ओम्याकोन दुनिया का सबसे ठंडा गांव है. यहां ठंड का आलम ये होता है कि यहां कोई भी फसल नहीं उगती है. लोग अधिकतर मांस खाकर जिंदा रहते हैं. अंटार्कटिका के बाहर इसे दुनिया की सबसे ठंडी जगह माना जाता है. साल 1924 में इस जगह का तापमान -71.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. 2018 के आंकड़ों के मुताबिक यहां 500 से 900 लोग रहते हैं. इस लोगों पर फ्रॉस्टबाइट या पाला मारने का खतरा हमेशा बना रहता है. लोगों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. गाड़ियों की बैट्री ना जमे इस वजह से गाड़ियों को हर वक्त स्टार्ट किए रखना पड़ता है. यहां के लोग अलग-अलग तरह के मांस खाते हैं. यहां रेंडियर और घोड़े के पास के अलावा लोग स्ट्रोगनीना मछली का खूब सेवन करते हैं. जून-जुलाई में जब दुनिया के कई हिस्सों में भयंकर गर्मी पड़ती है, तब यहां का तापमान20 डिग्री तक ही पहुंचता है. प
अमेरिका- अमेरिका के कैलिफोर्निया, एरिजोना और ओक्लाहोमा जैसे इलाकों में सबसे ज्यादा नेटिव अमेरिकन लोग रहते हैं. यहां का तापमान भी माइनस में होता है. नेटिव अमेरिकन लोग ठंड के दिनों में काफी एहतियात बरतते हैं. ये लोग इन दिनों लंबे और बड़े घरों में रहते हैं. कबीले के सभी लोग एक जगह रहते हैं जिससे घर का तापमान बढ़ जाता है. यहां के लोग कम तापमान में लकड़ी काटते हैं. लकड़ी काटने से उनके अंदर तापमान बढ़ जाता है तो शरीर में गर्मी पैदा होती है.
जापान- जापान के भी कई इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ती है. जनवरी 1902 में जापान के शहर असाहीकावा में अब तक का न्यूनतम तापमान, -41 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. जापान में सर्दियों के दिनों में लोग कोटैट्सू हीटर का इस्तेमाल करते हैं. ये बेहद आसान मगर कारगर तकनीक से बना एक तरह का टेबल होता है. इस छोटे आकार के टेबल को गर्माहट के स्त्रोत के ऊपर रखा जाता है और उसके ऊपर कंबल डाल देते हैं जिससे कि वो गर्म हो जाता है और साथ ही आसपास बैठे लोगों को भी बहुत राहत मिलती है. पहले के दिनों में चारकोल का इस्तेमाल होता था मगर अब इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट का उपयोग किया जाता है. यहां पर खानपान की अधिकतर चीजें गर्म तासीर वाली खाई जाती हैं. टोफू, पफर फिश जैसे व्यंजन यहां खाए जाते हैं।
कश्मीर- कहा जाता है कि भारत में स्वर्ग कहीं है तो कश्मीर में ही है. कश्मीर की खूबसूरत वादियां ठंड के दिनों में जम सी जाती हैं. कश्मीर के बारामूला जिले में तापमान -7.4 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज हो चुका है. यहां कल, यानी 21 दिसंबर से अगले 40 दिनों तक कड़ाके की ठंड पड़ने लगती है जिसे चिल्लई कलां कहते हैं. इसके बाद जो 20 दिन का वक्त होता है उसे चिल्लई खुर्द कहते हैं. यहां के लोग इस मौसम नाश्ते में हरीसा खाते हैं. ये खास तरह का हलवा होता है जिसे बकरी या भेड़ के मांस से बनाया जाता है और रातभर पकाया जाता है. अमूमन इसे ब्रेड के साथ खाते हैं. ठंड के दिनों में यहां लोग अधिक मात्रा में ड्राई फ्रूट, मांस, हर्बल टी जैसे व्यंजनों का सेवन करते हैं. शायद आपको पता हो, कश्मीर में ठंड से बचने के लिए कांगड़ी का इस्तेमाल होता है. कांगड़ी, मिट्टी के बर्तन में कोयला जलाने को कहा जाता है. इसे यहां के लोग अपने ओवरकोट के अंदर लेकर घूमते हैं जिससे शरीर गर्म रहता है.