देवरिया:सन् 1914 में स्थापित ब्रिटिशकालीन गौरीबाजार के बंद चीनी मिल मजदूरों से मिले एसडीएम और सीडीओ..
देवरिया जिले के गौरी बाजार चीनी मिल परिसर में पहुंचे दोनों अधिकारियों ने श्रमिक नेता ऋषिकेश यादव,कपिल देव यादव समेत श्रमिकों से उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना। श्रमिकों ने बताया कि सन् 1914 में स्थापित ब्रिटिशकालीन गौरीबाजार चीनी मिल 1995-96 में बंद हो गई थी। मिल बंद होने से सात सौ श्रमिक बेरोजगार हो गए थे। बंद चीनी पर किसानों 1.62 करोड़,श्रमिकों का 24 करोड़ बकाया है।
2011 में मात्र 17 करोड़ में कोलकाता की राजेन्द्रा इस्पात कंपनी ने मिल खरीदा तो चलाए जाने की उम्मीद जगी। मिल चलवाने की बजाय राजेन्द्रा इस्पात कंपनी उपकरणों को कटवा(स्क्रेप) उठवा ले गया। श्रमिकों के विरोध का कोई असर नही हुआ।
उधर कंपनी की मंशा भाप मजदूर सन् 2016 में बकाया भुगतान के लिए हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट से तीन बार आदेश के बावजूद बकाया भुगतान आज तक नही हुआ है। विगत वर्ष 8 जून को कानपुर सुगर वकर्स के नाम तहसील से 14.73 करोड़ का आरसी भी जारी हुआ था।
जिसे एक सप्ताह के भीतर तहसील प्रशासन ने वापस ले लिया था। मजदूरों का कहना है राजेन्द्रा इस्पात कंपनी ने मिल का स्क्रेप खरीदा है,जमीन नही। दोनों अधिकारी पिछले साल जारी आरसी के एक सप्ताह के भीतर वापस लिए जाने पर गंभीर दिखे। वहीं मिल के परिसंपत्तियों का आकलन कर बकाया भुगतान के लिए रास्ता निकालने का आश्वासन दिया।