देवरिया की बरहज नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष व सेवानिवृत अधिशासी अधिकारी से 56 लाख की होगी वसूली
देवरिया:नगरपालिका परिषद गौरा बरहज में अध्यक्ष अजीत जायसवाल व अधिशासी अधिकारी राधेश्याम कुशवाहा के कार्यकाल में कराए गए विभिन्न कार्यो के बारे में अमरेन्द्र गुप्त, छत्रपाल निषाद व सभासद देवंती देवी ने अलग- अलग शिकायतें की थी। इन शिकायतों की जांच शासन ने जिलाधिकारी से कराई। जांच में पांच कार्यो में व्यापक स्तर पर अनियमितता बरतने की पुष्टि हुई। जिलाधिकारी ने जुलाई 2017 में शासन को अपनी आख्या उपलब्ध करायी। इस बीच अजीत जायसवाल का कार्यकाल समाप्त हो गया तथा अधिशासी अधिकारी राधेश्याम कुशवाहा भी सेवानिवृत हो चुके थे। अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के चलते उन्हें पद से हटाने की कार्रवाई नहीं हो सकी।
16.52 लाख से विश्वनाथ त्रिपाठी के स्कूल के सामने इंटरलाकिंग कार्य कराए गए कार्य की जांच में पाया गया कि यह कार्य शासन द्वारा स्वीकृत स्थान पर नहीं कराया गया और एक निजी स्कूल के सामने कराया गया। इसी तरह रुद्रपुर रोड पर डा अजय सिंह की मकान से सदल प्रजापति के मकान होते हुए पोखरे तक नाला निर्माण में पहले से बने नाले को ध्वस्त करा दिया गया। इससे 3.88 लाख का अपव्यय हुआ। आजाद नगर वार्ड में 1.48 लाख रुपए का भुगतान मूत्रालय निर्माण के नाम पर कर सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया। इन सभी मामलों में अपव्यय की गई 21.88 लाख की धनराशि की वसूली अध्यक्ष अजीत जायसवाल व ईओ राधेश्याम कुशवाहा से करने की संस्तुति की गई है।
जांच में पाया गया कि जलापूर्ति से संबंधित कराए गए कार्यो में तकनीकी स्तर पर सत्यापित न कर भुगतान की कार्यवाही की गई। इसके लिए अध्यक्ष अजीत जायसवाल, ईओ राधेश्याम कुशवाहा, पंप आपरेटर विन्ध्याचल प्रसाद को दोषी पाया गया तथा 34.20 लाख रुपए की वित्तीय क्षति होने की आख्या प्रस्तुत की गई। इस धनराशि की वसूली अध्यक्ष, ईओ व पंप आपरेटर से करने की संस्तुति की गई। इस जांच आख्या के आधार पर शासन ने तत्कालीन अध्यक्ष, ईओ व पंप आपरेटर को कारण बताओं नोटिस जारी कर पन्द्रह दिन में अपना पक्ष रखने को कहा। इस अवधि में पक्ष न रखने पर वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।