फरवरी तक वैध नहीं रह जाएंगे ज्यादातर ई-वॉलेट
डिजिटल पेमेंट की सुविधा देने वाली कंपनियों के पसीने छूट रहे हैं. सेक्टर के लिए तय नियम इसकी मुख्य वजह हैं. फरवरी के अंत तक लाखों मोबाइल वॉलेट मान्य नहीं रह जाएंगे. कारण है कि ई-वॉलेट की पेशकश करने वाली कंपनियों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों का पालन करने में दिक्कत आ रही है. आरबीआई ने इन कंपनियों को ग्राहकों का केवाईसी या डेटा वेरिफिकेशन करने के लिए कहा है. एक अनुमान के मुताबिक, ई-वॉलेट इस्तेमाल करने वाले 80 फीसदी से ज्यादा लोगों का अब भी केवाईसी नहीं हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट निजी कंपनियों पर आधार का इस्तेमाल करने पर रोक लगा चुका है. इसने इन कंपनियों के लिए केवाईसी करना और भी कठिन हो गया है.
पहले मोबाइल नंबर पर ओटीपी के जरिए आंशिक केवाईसी की जाती थी. लेकिन, नए नियमों में पूरी केवाईसी को जरूरी बनाया गया है. इसमें पहचान और पते के प्रमाण के साथ विभिन्न दस्तावेजों को जमा करने की जरूरत होती है.
छोटे पेमेंट के लिए वॉलेट इस्तेमाल करने वालों को इस प्रक्रिया को पूरा करना फालतू लगता है. कई ने तो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसे साधारण उत्पादों का रुख कर लिया है. ये एक बैंक से दूसरे बैंक में सीधे पैसे को ट्रांसफर करने की सहूलियत देते हैं. इसमें वॉलेट को लोड करने की जरूरत भी नहीं पड़ती है.
दिसंबर में यूपीआई से 62 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे. इसके उलट नवंबर में मोबाइल वॉलेट ट्रांजेक्शन घटकर 35 करोड़ के भीतर रह गए. आरबीआई और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों से इसका पता चलता है.
नोटबंदी के बाद वॉलेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा था. लेकिन, समय गुजरने के साथ इनका उपयोग घट रहा है.
कंपनियां कहती हैं कि नियामक संबंधी रुकावटें सरकार की डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की कोशिशों में बड़ी बाधा हैं. पेटीएम, अमेजन पे और मोबिक्विक को अपने ग्राहक गंवाने की आशंका है. लेकिन, उन्हें यह भी उम्मीद है कि रेगुलेटर समय रहते उनके लिए कोई समाधान लाएगा.
फोनपे के मुकाबले पेटीएम और अमेजन पर ज्यादा असर पड़ने के आसार हैं. कारण है कि फोनपे यूपीआई पर ज्यादा फोकस्ड है. साथ ही इसकी अपने वॉलेट पर निर्भरता कम है. अमेजन ने हाल ही में यूजरों के घर-घर पहुंचकर जरूरी दस्तावेज जुटाने शुरू किए हैं.