मुख्यमंत्री के हाथो सम्मानित होती डीएम शीतल वर्मा..
सीतापुर: जिलाधिकारी शीतल वर्मा को कुछ दिनों पूर्व सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा बेहतर कार्य करने के लिये सम्मानित किया, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उनके मातहत अधिकारी ही उनकी एक नही सुनते है, जिसके कारण यूपी की योगी सरकार की छवि धीरे-धीरे रसातल की ओर जाने लगी है। मामले का शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक शातिर शिक्षक के द्वारा बेहद शातिराना अन्दाज में बेसिक शिक्षा अधिकारी से सांठ गांठ करके पूरे कुनबे को ही फर्जी तरीके से शिक्षक बनवाकर आस्कर जैसा अवार्ड जीतने का काम किया है।
इसके पीछे यदि कोई मददगार है, तो वह है तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिनके रहमों करम पर सामान्य जाति के व्यक्तियों को ओबीसी कोटे की नौकरी हलवा पूड़ी की भांति बांट दी गई। मामला मीडिया में सुर्खियों में आने के बावजूद जिला प्रशासन पूर्ण रूप से कुम्भकर्णी नींद सो रहा है। जिसके चलते अपात्र व्यक्ति शासन की मंशा को जमीदोज करते हुये खुलेआम शिक्षक बनकर सरकारी धन को हड़प रहे है।
स्मरण रहे कि महोली तहसील इलाके के ग्राम उरदौली निवासी प्रमोद कुमार पुत्र रामऔतार ने शिक्षा विभाग में व्याप्त भृष्टाचार का खुलासा करते हुये राजफास किया है। जागरूक नागरिक की माने तो प्राथमिक विद्यालय अढ़ौरा तहसील महोली में प्रधानअध्यापक के पद पर तैनात विजय कुमार गुप्ता पुत्र स्वर्गीय डोरे लाल गुप्ता पिसावां ब्लाक के ग्राम बछवल के रहने वाले है।
प्रधानाध्यापक विजय कुमार गुप्ता का भाई मिथलेश कुमार गुप्ता काफी समय से नौकरी की तलाश कर रहा था, चूंकि यह सभी सामान्य जाति के थे, इसलिये एस समय जारी हुई मेरिट में मिथलेश कुमार का नाम नही आया था, जिसके बाद मिथलेश कुमार ने मिश्रिख तहसील के उप जिलाधिकारी द्वारा पिछड़ी जाति का फर्जी प्रमाण पत्र संख्या 1817 दिनांक 16 जून 2004 में जारी करवाकर वर्ष 2005 में शिक्षा विभाग में नौकरी हथिया ली।
आश्चर्य की बात तो यह है कि आवेदन फार्म पर पिछड़ा वर्ग दर्ज करने के बाद भी शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र पर सामान्य जाति दर्ज है। बेटे मिथलेश को फर्जीवाड़ा से मिली नौकरी को मजबूत करने करने के लिये उसके पिता विजय कुमार गुप्ता ने दूसरे पते से पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर उसकी सर्विस पुस्तिका पर दर्ज करवा दिया। यही नही विजय कुमार गुप्ता ने शातिर राना अन्दाज में एक और कारनामें को करने में कामयाब रहा। उसने अपनी पुत्री प्रियंका गुप्ता को भी सहायक अध्यापक के पद पर महसोनियागंज महोली में नियुक्ति दिला दी। जबकि यूपी टीईटी अनुक्रमांक संख्या 07083140 वर्ष 2011 पर सामान्य दर्ज है।
इसी तरह अपने पुत्र नवनीत को पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र लगाकर उसे भी शिक्षा विभाग में नौकरी दिला दी है। यहां पर यह भी बताते चले कि मिथलेश गुप्ता, नवनीत कुमार गुप्ता, बीना गुप्ता, प्रियंका गुप्ता के शैक्षिक प्रमाण पत्रो की यदि जांच कर ली जाये तो सभी के प्रमाण पत्रों में सामान्य जाति ही दर्ज है, इसके बावजूद शातिर शिक्षक विजय कुमार गुप्ता के द्वारा कूटरचित कारनामे को अंजाम देकर अपने पूरे परिवार को शिक्षा विभाग में नौकरी दिला कर शासन को अंधा बनाने का काम किया है।
शीतल वर्मा के सफलता के संघर्षों की बात
जब पापा को लोग देते थे ताने, कैसे करोगे बेटियों की शादी – शीतल यूपी के गाजियाबाद जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता प्रेम लाल वर्मा कस्टम विभाग में तैनात थे। इसलिए शीतल का बचपन दिल्ली में बीता। 3 बहनों में ये सबसे बड़ी हैं।
– अपने स्ट्रगल को शेयर करते हुए शीतल ने कहा, ”हमारा कोई भाई नहीं है, जिसे लेकर लोग पैरेंट्स को ताना देते थे कि बेटियों को इतना पढ़ा रहे हो, शादी के लिए लड़का कहां मिलेगा? बेटियों को बेटियों की तरह पालो, उन्हें बेटा न बनाओ।” – ”वो बातें सुन बहुत बुरा फील होता था। लेकिन दिल में एक अजीब सा उत्साह भी मिलता था कि समाज को कुछ कर दिखाना है।
पैरेंट्स ने कभी भी इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि बाहर के लोग इस तरह की बातें करते हैं।”
– “हमें पढ़ाने के लिए पापा ने अपनी तमाम जरुरतों में कटौती की। कभी लग्जरी लाइफ जीने के बारे में नहीं सोचा। एक साल की तैयारी के बाद 2007 में मैंने पहलेअटेम्प्ट में IAS क्वालिफाई कर लिया था।”
– ”आज भी पापा दिल्ली में एक छोटे से घर में रहते हैं। हम तीनों बहनों की सफलता के सही हकदार मम्मी-पापा ही हैं। छोटी बहन प्रियंका दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है। सबसे छोटी बहन रेलवे में अफसर है, आगरा में तैनात है।”