राजनीति में जाति नामक खेल;

भारत देश में शुरू से दो ही जाति रही है एक अमीर और दूसरा गरीब ! अमीर लोगो की कोई जाति नही पूछता ! और हमेशा गरीब को ही सताया जाता है चाहे वो किसी भी जाति का रहा हो इससे कोई फर्क नही पड़ता ! परन्तु इन राजनीतिक लोगो ने एक भ्रम बना दिया है कि जाति विशेष के लोग ही गरीब और पिछड़े हुए है ! परन्तु यह ना कभी सच था ना है और ना रहेगा ! गरीब और पिछड़े हुए लोग हर जाति में है ! परन्तु लोगो ने जाति को राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग किया है भारत देश के लोग राजनीतिक षडयंत्रों का शिकार होते चले गए ! मै हर उस जाति के लोगो से पूछना चाहता हूँ जिन्हें लगता है कि उनकी जाति के कारण उन पर कथित अत्याचार हुआ? क्या वो कथित अत्याचार सिर्फ़ जाति की वजह से था ? या फिर गरीबी के कारण? मै आज के समाज की बात करता हूँ और यह समाज पहले से ऐसा ही है कोई परिवर्तन नही आया है ! इस समाज ने हमेशा से अमीरो को सम्मान दिया है और गरीबों को दुत्कारा है ! यही पहले हुआ और यही आज होता है ! तो इसमे जाति कहा से आ गयी?
जातियों के नाम पर खेला जाने वाला राजनीतिक खेल भारत देश की दुर्दशा के लिए 1000 सालों से जिम्मेदार रहा है ! अपनी अपनी राजनीतिक मह्त्वाकांशाओ की पूर्ती हेतु पहले राजाओं महराजाओ ने इसे खेला फिर मुग़लों ने इसका जमकर प्रयोग किया और फिर अँगरेजों ने इसे अपने पक्ष में किया और आज राजनेता कर रहे है ! और इसी वजह से भारत देश कभी अपने पैरों पर खड़ा नही हो सका ! इतनी बड़ी संस्कृति होते हुए भी हम पर हमेशा मुट्ठी भर लोग राज करते रहे और आगे भी करेंगे क्यूँकि भारत के लोगो की मानसिकता कभी बदलने वाली नही है उलटा यह होना है कि इस खेल की वजह से जातिवाद की भावनाये और ज्यादा होगी और लोगो के बीच नफरत और ज्यादा हो जायेगी ! यही हो रहा है 1000 सालों से जिसको आज हम इस रुप में देख् रहे है !
जो लोग गरीब है वो ही सिर्फ़ शोषण का शिकार हुए है किसी जाति विशेष के नही और आगे भी यही होगा ! या फिर कह सकते है कि इस महान देश में हर गरीब का शोषण हुआ है चाहे वो किसी भी जाति का हो !
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं
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