राजस्थान: घोड़ी पर चढ़ने के कारण दलित दूल्हे पर पुलिस की मौजूदगी में हमला

इस मामले में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक घटना गुरुवार देर रात की है। ये घटना उस समय हुई जब घोड़ी पर सवार दलित दूल्हे की बारात जयपुर जिले के पावटा के कैरोड़ी गांव में दुल्हन के घर पहुंची थी।
दुल्हन के पिता हरिपाल बलाई ने इंडियन एक्सप्रेस को कहा, “हमारे गांव में दलितों के लिए बारात के दौरान घोड़ी की सवारी करना आम बात नहीं है। मैं भेदभाव की इस परंपरा को तोड़ना चाहता था। मेरी बेटी और बेटे दोनों की शादी इसी महीने हो रही है। हमारे गांव में राजपूत समुदाय के लोग अक्सर कहते हैं कि वे हमें घोड़ी पर चढ़ने नहीं देंगे। मुझे संदेह था कि इसका विरोध हो सकता है और सुरक्षा का अनुरोध करते हुए मैंने पुलिस और जिला प्रशासन को आवेदन दिया था।”
बलाई ने आगे कहा कि पुलिस अधिकारी और स्थानीय नेता गुरुवार सुबह भी उनसे मिलने आए थे और आश्वासन दिया था कि कोई अप्रिय घटना नहीं होगी।
बलाई ने बताया कि, “मुझे याद है कि करीब चालीस साल पहले जब मैं बच्चा था तो एक अवसर पर दलितों के जुलूस पर पथराव किया गया था। कल शाम मैंने एक बार फिर इतिहास को दोहराते देखा जब मेरे दामाद घोड़ी पर सवार होकर हमारे घर के गेट पर पहुंचे तो पुलिस कर्मियों की मौजूदगी के बावजूद पथराव किया गया। पत्थरों की बौछार हुई। हमारे परिवार के लगभग 10-15 लोग इसके चपेट में आ गए। मेरे घायल भतीजे को टांके लगाने पड़े। पथराव करने वाले राजपूत समुदाय से हैं और ज्यादातर मेरे ही पड़ोसी हैं।”
Rajasthan: 10 people were arrested for allegedly pelting stones at a wedding procession of a Dalit man in Kotputli area of Jaipur on Thursday night, as per ASP Ram Kumar
ASP Kotputli, CO Kotputli & SHO Pragpura PS were put on awaiting posting orders (APO) over the incident y'day pic.twitter.com/0LleFA3SSd
— ANI (@ANI) November 27, 2021
राजस्थान पुलिस ने जयपुर जिले के कोटपूतली कस्बे में दलित समुदाय के एक व्यक्ति की बारात पर पत्थर फेंकने के मामले में 10 लोगों को हिरासत में लिया है. पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
कोटपुतली के सर्कल अधिकारी दिनेश कुमार यादव ने कहा, “हमने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है जो राजपूत समुदाय से हैं। हमने मौके पर 75 पुलिसकर्मियों को तैनात किया था। हमला अचानक हुआ और केवल कुछ सेकंड तक चला। हमला करने के लिए हमलावर झाड़ियों और पेड़ों का सहारा लिया। परिवार ने 18 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है। गिरफ्तार किए गए 10 लोगों में से छह ऐसे हैं जिनका नाम लिया गया था, जबकि अन्य की संलिप्तता हमारी जांच में सामने आई।”
उन्होंने कहा कि एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 323, 341 (गलत तरीके से रोक लगाने की सजा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
इस घटना से दलित संगठन बेहद नाराज हैं। आजाद समाज पार्टी के राजस्थान के अध्यक्ष और भीम आर्मी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल ढेनवाल ने कहा कि, “हाल ही में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें जातिगत भेदभाव की सामंती मानसिकता के कारण दुल्हे को घोड़ी पर सवार होने को लेकर दलित की कई शादियों पर हमला किया गया है। अगर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो हम प्रदर्शन करेंगे।”
पुलिस ने इस घटना को लेकर तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। जयपुर ग्रामीण एसपी मनीष अग्रवाल ने कहा कि तीन पुलिस अधिकारियों- अतिरिक्त एसपी कोटपुतली, सीओ कोटपुतली और प्रागपुरा पुलिस स्टेशन के एसएचओ के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
साल 2017 में अप्रैल महीने में राजस्थान के उदयपुर जिले में एक दलित दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने को लेकर उसकी पिटाई का मामला सामने आया था। उदयपुर के घासा थाने में दलित दूल्हे की ओर से शिकायत दर्ज करायी गई थी।
उदयपुर के झालो का ढाणा गांव में दलित दूल्हा कैलाश मेघवाल की बारात जा रही थी, उसी दौरान पांच छह लोगों ने बारातियों के साथ लाठियों, धारदार हथियारों और बीयर की बोतलों से हमला कर दिया था और दूल्हे मेघवाल को घोड़ी से उतार कर पिटाई की थी। दूल्हे के सिर और शरीर पर चोट लगी है और टांके लगाए गए थे।
पुलिस को दी गई शिकायत में बताया गया था कि राजपूत बाहुल्य क्षेत्र में एससी के लोगों को घोड़ी पर सवार नहीं होने दिया जाता है।
वर्ष 2016 के अप्रैल महीने में दलित दूल्हे 24 वर्षीय चेतन वाघेला के घोड़ी पर चढने से नाराज अगड़ी जाति के लोगों ने दूल्हे और उसके परिवार पर शादी के समारोह के दौरान ही हमला कर दिया था। गांव के ही अगड़ी जाति के कुछ लोगों ने दूल्हे और उसके परिवार की लाठी से पिटाई कर दी थी। ये घटना साबरकंठा जिले के हिम्मतनगर तालुका स्थित अदपोदरा गांव की थी। इस घटना में 3 लोग घायल हुए थें। हमले की इस घटना के बाद पुलिस की सुरक्षा में शादी समारोह संपन्न हुई थी।
शादी की रस्मों के दौरान दूल्हे को बारात के साथ रवाना करते समय घोड़ी पर बिठाए जाने की रस्म ‘वरघोड़ो’ किया गया था। जब वे गांव के उच्च जाति के लोगों के घर के पास से गुजर रहे थे तो उन्हें धमकाया गया था। उच्च जाति के लोगों ने परिवार वालों को दूल्हे को घोड़ी से उतारने और बजाए जा रहे बैंड को बंद करने के लिए कहा था। जब दूल्हे के परिवार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो उच्च जाति के कुछ लोगों ने उनपर हमला कर दिया था। परिवार वालों का आरोप था कि पुलिस की मौजूदगी में उन्हें धमकाया।