लोकपाल के वरिष्ठतम सदस्य डीबी भोसले ने पद से दिया इस्तीफा
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश भोंसले को लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने 27 मार्च 2019 को पद की शपथ दिलाई थी।
नई दिल्ली: लोकपाल के सदस्य न्यायमूर्ति डीबी भोंसले ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि न्यायमूर्ति भोंसले ने अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सोमवार को भेज दिया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘न्यायमूर्ति भोंसले ने कुछ निजी कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।’ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति भोंसले को लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने 27 मार्च 2019 को पद की शपथ दिलाई थी।
स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से आने वाले 63 वर्षीय भोंसले बंबई उच्च न्यायालय और कर्नाटक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के लिए हैदराबाद के उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर भी उन्होंने 15 महीने (2015-2016) तक अपनी सेवाएं दीं।
नियमों के अनुसार, लोकपाल पैनल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होने का प्रावधान है। इनमें से चार का न्यायतंत्र से होना जरूरी है।
आपको बता दें कि भ्रष्टाचार से लड़ाई के लिए जो सर्वोच्च संस्था लोकपाल बनाई गई है वह अभी तक भ्रष्टाचार की शिकायतों की विधिवत जांच शुरू नहीं कर पाई है क्योंकि अभी तक लोकपाल में शिकायत देने का प्रारूप ही तय नहीं है।
लोकपाल को पद ग्रहण किए नौ महीने का समय बीत चुका है लेकिन लोकपाल के समक्ष शिकायत करने का प्रारूप अधिसूचित नहीं किया है जिसके तहत लोकपाल भ्रष्टाचार के किसी मामले का संज्ञान लेकर विधिवत जांच शुरू कर पाए।
भ्रष्टाचार से लड़ाई की सर्वोच्च संस्था लोकपाल स्थापित करने का कानून 2013 में पास हुआ था। कानून पास होने के पांच साल बाद 2018 में लोकपाल की नियुक्ति हुई। 23 मार्च 2019 को लोकपाल जस्टिस पीसी घोष ने पद की शपथ ली और 27 मार्च को लोकपाल के अन्य सदस्यों ने शपथ ग्रहण कर पद धारण किया।