सिंधु और बलूचिस्तान के लोगों ने किया भारत का समर्थन, कहा-पाकिस्तान का जुल्म अब नहीं सहेंगे
नई दिल्ली: जी-7 सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात हुई। पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने कहा कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है। भारत और पाकिस्तान मिलकर इसे सुलझा लेंगे। किसी भी देश को इसमें इसमें कष्ट देने की जरूरत नहीं है। इसके बाद बौखलाए पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने परमाणु युद्ध की धमकी दे डाली।
कश्मीर मुद्दे पर दखल देने से बाज नहीं आ रहे पाकिस्तान के घर में ही इस समय बवाल मचा हुआ है। सिंध के लोग आजादी की मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं ब्लूचिस्तान में जारी पाकिस्तानी सेना के अत्याचार के खलाफ आज फ्रैंकफर्ट में पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास के बाहर के बाहर ब्लूचों ने प्रदर्शन किया। जर्मनी में बलूच रिपब्लिकन पार्टी (बीआरपी) ने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया और आज फ्रैंकफर्ट में पाकिस्तान के वाणिज्य दूतावास के बाहर आजादी के नारे लगाए। फ्रैंकफर्ट में पाकिस्तान के वाणिज्य दूतावास के बाहर अपने प्रदर्शन के दौरान बलूच रिपब्लिकन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बलूचिस्तान में सैन्य ऑपरेशन बंद करो के नारे लगाए।
ब्लूचिस्तान ने 72 साल पहले हुए पाक में विलय को कभी स्वीकार नहीं किया।पाक की कुल भूमि का 40 फीसदी हिस्सा ब्लूचिस्तान में है।पाक और ब्लूचिस्तान के बीच संघर्ष 1945, 1958, 1962-63, 1973-77 में होता रहा है।77 में पाक द्वारा दमन के बाद करीब 2 दशक तक शांति रही।1999 में परवेज मुशर्रफ सत्ता में आए तो उन्होंने बलूच भूमि पर सैनिक अड्डे खोल दिए।इसके बाद यहां कई अलगाववादी आंदोलन वजूद में आ गए।
लिहाजा यहां अलगाव की आग निरंतर सुलग रही है।2001 में यहां 50 हजार लोगों की हत्या पाक सेना ने कर दी थी।इसके बाद 2006 में 20 हजार सामाजिक कार्यकर्ताओं को अगवा कर लिया गया, जिनका आज तक पता नहीं है।2015 में 157 लोगों के अंग-भंग किए गए।पिछले 17 साल से जारी दमन की इस सूची का खुलासा एक अमेरिकी संस्था गिलगिट-ब्लूचिस्तान नेशनल कांग्रेस ने किया है।
वहीं कश्मीर में अत्याचार का राग अलापने वाले पाकिस्तान के झूठ की कलई उसके यहां के राजनीतिक दल ही खोल रहे हैं। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) की केंद्रीय समन्वय समिति का कहना है कि पाकिस्तान खुद कराची और सिंध प्रांत के अन्य शहरों में जु’ल्म ढा रहा है। यहां के हालात जम्मू-कश्मीर की स्थिति की उसके दावों की तुलना में कहीं ज्यादा भयावह हैं।
केंद्रीय समन्वय समिति के उप समन्वयक कासिम अली रजा और समिति के सदस्य मुस्तफा अजीजबादी, मंजूर अहमद और अरशद हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान की संस्थाएं देश में बलूचों, मुहाजिरों, पश्तूनों, सिंधी और अन्य दबे कुचले लोगों के उत्पीड़न कर रही हैं। यह अ’त्याचार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। रजा ने कहा कि पाकिस्तान की ‘दु’ष्ट’ सेना ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर हजारों निर्दोष मुहाजिरों को मौ’त के घा’ट उतार दिया और सैकड़ों का उनके घरों से अप’हरण कर लिया जिनका अभी तक पता नहीं लग सका है। पाकिस्तान की कोई भी सरकारी संस्थान मुहाजिरों और अन्य लोगों की आवाज को सुनने को तैयार नहीं है।
मुस्तफा ने कहा कि एमक्यूएम जम्मू और कश्मीर की स्थिति से चिंतित है लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तानी सेना कराची और अन्य शहरों में अ’त्याचार कर रही है। ऐसे में आखिर वह किस मुंह से कश्मीर में अ’त्याचार के लिए भारत पर आरोप लगा सकता है? अरशद ने कहा कि खुद को बहादुर कहने वाली पाकिस्तानी सेना कश्मीर के मुद्दे पर हो-हल्ला मचा रही है लेकिन खुद पाकिस्तान में मुहाजिर, बलूच, पश्तून और अन्य दबे कुचले लोगों को सता रही है।
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