Kisan Andolan Violence: दिल्ली ट्रैक्टर मार्च हिंसा पर मायावती ने कहा- दुर्भाग्यपूर्ण, अखिलेश यादव बोले- भाजपा ही कसूरवार

लखनऊ |कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में हुई ट्रैक्टर परेड ने सबके भरोसे को रौंदते हुए पूरे देश को शर्मसार कर दिया। अब इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेता इस हिंसक रैली पर शर्मिंदगी जता रहे हैं तो वहीं विपक्षी दल भाजपा सरकार को कोसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। बुधवार को यूपी की दो प्रमुख विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने हिंसक आंदोलन की निंदा करते हुए कृषि कानूनों को रद करने की मांग की है।
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि राजनीति से परे रहते हुए पूर्ण रूप से देशहित में रखी गई कृषि कानूनों को वापस लेने की बीएसपी की बात केन्द्र सरकार अगर मान लेती तो गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड और पुलिस से किसानों के संघर्ष की जो एक नई परम्परा की शुरुआत हो गई है उसकी नौबत ही नहीं आती। यह किसानों के प्रति भी सरकार की असंवेदनशीलता नहीं तो और क्या है? मायावती ने कहा कि देश में करोड़ों गरीब, मजदूर व अन्य मेहनतकश समाज के लोग असंगठित तौर पर बदहाल जीवन जीने को मजबूर हैं किन्तु देश का किसान समाज सरकारी तंत्र के माध्यम से अब और ज्यादा बदहाल जीवन जीने को कतई तैयार नहीं लगता है और इसी लिए आज गणतंत्र दिवस पर ’ट्रैक्टर परेड’ कर रहा है।
2. साथ ही, बी.एस.पी. की केन्द्र सरकार से पुनः यह अपील है कि वह तीनों कृषि कानूनों को अविलम्ब वापिस लेकर किसानों के लम्बे अरसे से चल रहे आन्दोलन को खत्म करे ताकि आगे फिर से ऐसी कोई अनहोनी घटना कहीं भी न हो सके। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) January 27, 2021
मंगलवार को जारी अपने बयान में मायावती ने कहा कि सरकार गणतंत्र दिवस अवश्य मनाएं लेकिन ’गण’ की भी सही चिन्ता जरूर करे तभी देश की गणतंत्र का आपेक्षित मान-सम्मान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस को रसम अदाएगी के तौर पर मनाने के बजाए देश की आमजनता में से खासकर करोड़ों गरीबों, कमजोर तबकों, मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों व अन्य मेहनतकश लोगों ने पिछले वर्षों में वास्तव में अपने जीवन में क्या पाया व क्या खोया इसके आकलन व समीक्षा करने की जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए।
क्योंकि देश इन्हीं लोगों से बनता है व इनके बेहतर जीवन से फिर सजता व संवरता है। देश की जनता ने लाचार, मजबूर व भूखे रहकर भी देश के लिए हमेशा कमरतोड़ मेहनत की है फिर भी उनका जीवन सुख-समृद्धि से रिक्त है जबकि देश की सारी पूंजी कुछ मुट्ठीभर पूंजीपतियों व धन्नासेठों की तिजोरी में ही लगातार सिमट कर रह गई है, जो ईष्र्या की बात नहीं है परन्तु एक प्रकार से गलत व अनुचित मानी जाने वाली बात जरूर होनी चाहिए।
भाजपा सरकार ने जिस प्रकार किसानों को निरंतर उपेक्षित, अपमानित व आरोपित किया है, उसने किसानों के रोष को आक्रोश में बदलने में निर्णायक भूमिका निभायी है. अब जो हालात बने हैं, उनके लिए भाजपा ही कसूरवार है.
भाजपा अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी मानते हुए कृषि-क़ानून तुरंत रद्द करे. #किसान pic.twitter.com/mXEYl6r2zZ
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 27, 2021
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के ट्वीट के कुछ देर बाद ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार को कोसा। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘भाजपा सरकार ने जिस प्रकार किसानों को निरंतर उपेक्षित, अपमानित व आरोपित किया है, उसने किसानों के रोष को आक्रोश में बदलने में निर्णायक भूमिका निभायी है। अब जो हालात बने हैं, उनके लिए भाजपा ही कसूरवार है। भाजपा अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए कृषि-कानून तुरंत रद करे।’
बता दें कि तीनों कृषि कानूनों के विरोध दिल्ली में हुई किसानों ट्रैक्टर परेड में शामिल उपद्रवी तय रूट को छोड़ दिल्ली के मध्य तक घुस आए और जमकर तोडफ़ोड़ की। लाल किले पर धावा बोलकर उपद्रवियों ने वहां केसरिया झंडा लगा दिया। इस दौरान रोकने की कोशिश कर रहे पुलिसकर्मियों पर पथराव करने के साथ रॉड और तलवारों से हमला किया। अलग-अलग जगहों पर उपद्रव में 83 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इनमें 26 की हालत गंभीर है। पुलिस ने मामले में 12 एफआइआर दर्ज की है। उपद्रवियों की इस करतूत ने किसानों के नाम पर दो महीने से चल रहे आंदोलन और इसके पीछे की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।