UPSC Civil Services Result 2018: कनिष्क ने पैरेंट्स, बहन और गर्लफ्रेंड को कहा थैंक्यू, पढ़िए क्या बोले टॉपर्स
संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 का फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया है। परीक्षा में शामिल हुए उम्मीदवार अपना रिजल्ट www.upsc.gov.in पर देख सकते हैं। 2018 में आयोजित की गई इस परीक्षा के लिए उम्मीदवारों के पर्सनल इंटरव्यू 4 फरवरी 2019 को शुरू हुए थे। इस बार राजस्थान के कनिष्क कटारिया ने ऑल इंडिया रैंकिंग में टॉप किया है। आइए जानते हैं सफलता मिलने के बाद क्या बोले टॉपर्स…
जुनैद अहमद, ऑल इंडिया रैंक 3: जुनैद ने कहा, ‘मैंने सीनियर्स की सलाह पर कुछ किताबों का अध्ययन किया जिसने मुझे एक आधार तैयार करने में मदद की। लेकिन इंटरनेट से काफी मदद मिलती है। अब सबकुछ ऑनलाइन है। इंटरनेट के सही इस्तेमाल से भी मुझे काफी मदद मिली। मुझे सिलेक्शन की उम्मीद थी लेकिन नंबर 3 तक पहुंचने के बारे में सोचा भी नहीं था।’
अक्षत जैन, ऑल इंडिया रैंक 2: अक्षत ने अपनी सफलता का श्रेय भगवान, परिजनों और दोस्तों को दिया। उन्होंने कहा, ‘इन सभी ने मेरी बहुत मदद की। मुझे काफी ज्यादा पढ़ना पड़ता था लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि मैं मशीन की तरह काम कर रहा था। मैं ब्रेक भी लेता था और दोस्तों के साथ बाहर भी जाता था।’
कनिष्क कटारिया, ऑल इंडिया रैंक 1: कनिष्क ने कहा, ‘यह बेहद सुखद और आश्चर्यजनक लम्हा था। मैंने कभी भी यूपीएससी परीक्षा में टॉप करने का नहीं सोचा था। मुझे लगता है मैं माता-पिता, बहन और गर्ल फ्रेंड का शुक्रिया अदा करता हूं। उन्होंने मुझे मदद की और हर तरह से मेरा साथ दिया। लोग मुझसे एक अच्छा प्रशासक बनने की उम्मीद करते हैं और वही मेरा लक्ष्य है।’
1. कनिष्क कटारिया
2. अक्षत जैन
3. जुनैद अहमद
4. श्रवण कुमात
5. सृष्टि जयंत देशमुख
6. शुभम गुप्ता
7. कर्नाटी वरूणरेड्डी
8. वैशाली सिंह
9. गुंजन द्विवेदी
10. तन्मय वशिष्ठ शर्मा
यह परीक्षा देश में में नौकरशाही के सर्वोच्च पदों के लिए आयोजित की जाती है। सिविल सेवा परीक्षा के जरिए ही देश में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस), भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस), भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (आईईएस) और भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) के लिए अफसर चुने जाते हैं।
ये हैं महिलाओं में टॉप करने वालीं सृष्टि, हासिल की पांचवी रैंक
कॉलेज में दाखिले के एक साल बाद ही सृष्टि जयंत देशमुख ने सिविल सेवा परीक्षा को अपना लक्ष्य बना लिया था. उस वक़्त उन्होंने जो ठाना, आज उसे पा भी लिया.
मध्य प्रदेश में भोपाल की रहने वालीं सृष्टि जयंत देशमुख सिविल सेवा परीक्षा देने वाली महिलाओं में टॉपर रही हैं और उन्होंने पांचवी रैंक हासिल की है. सृष्टि ने अपने पहले प्रयास में ही ये सफलता प्राप्त की है.
सृष्टि कहती हैं कि उन्होंने तय कर लिया था कि चाहे जो हो जाए उन्हें ये परीक्षा पास करनी है और अच्छी रैंक हासिल करनी है.
केमिकल इंजीनियरिंग करने के बावजूद भी सिविल सेवा परीक्षा देने के फैसले को लेकर वो कहती हैं, ”कॉलेज के दूसरे-तीसरे साल में ही मैंने अपनी तैयारी करनी शुरू कर दी थी. तब मुझे लगा कि केमिकल इंजीनियर बनकर उतना काम नहीं कर पाऊंगी जितना सिविल सेवा के जरिए सीधे तौर पर समाज के लिए अपना योगदान दे पाऊं. ”
सृष्टि के स्कूल से लेकर सिविल सेवा परीक्षा तक का सफ़र भोपाल में ही पूरा हुआ. उन्होंने स्कूली पढ़ाई भोपाल में एक कॉन्वेंट स्कूल से की. इसके बाद साल 2018 में शहर के ही एलएनसीटी कॉलेज से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की.
उन्होंने भोपाल में रहकर ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी की. अपनी तैयारी को लेकर सृष्टि कहती हैं कि वो दिल्ली सिर्फ साक्षात्कार के लिए आई थीं. भोपाल में ही कोचिंग ली और इंटरनेट से मदद लेती रही.
स्टूडेंट अक्सर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए बड़े शहरों का रुख करते हैं लेकिन सृष्टि ने अपने घर पर रहकर ही कोचिंग लेने का फैसला किया.
इस लेकर वह बताती हैं, ”यहां पर रहने के कुछ फायदे और नुकसान दोनों हैं. फायदा ये है कि मां के हाथ का खाना खाने को मिलता है. रात को पापा के साथ बात करके अपनी परेशानियां कह सकते हैं. घर से दूर रहते हैं तो सारे काम भी खुद करने पड़ते हैं. लेकिन, काफी सारी दिक्कतें भी आईं हैं.”
”कभी क्लासेज में ऐसा लगता था कि कुछ कमी न रह जाए. दिल्ली में ज़्यादा अच्छे टीचर और कोचिंग हैं. पर मैंने अपने आप पर भरोसा रखा और इंटरनेट का इस्तेमाल करती रही. टेस्ट सीरिज से तैयारी की. दिल्ली में होने वाली पढ़ाई के संपर्क में भी रही और शायद उस वजह से मैं ये कर पाई.”
सृष्टि देशमुख के पिता भी इंजीनियर हैं और मां एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं. घर में दादी हैं और छोटा भाई स्कूल में पढ़ता है. अपनी सफलता का श्रेय पूरे परिवार, दोस्तों और शिक्षकों को देते हुए वह कहती हैं कि यूपीएससी एक बहुत बड़ी परीक्षा है और इन सबके सहयोग के बिना ये सफलता संभव नहीं थी.
कैसे की तैयारी
सृष्टि कहती हैं कि वो अलग-अलग विषयों के अनुसार दिन में समय तय करती थीं. उनका ऑप्शनल पेपर सोश्योलॉजी था. करंट अफेयर्स पर भी काफ़ी ध्यान दिया. थक जाने पर या तनाव होने पर योगा और म्यूजिक से वो खुद को आराम देती थीं.
इस परीक्षा की तैयारी करने वालों को वो सलाह देती हैं, ”करंट अफेयर्स से जुड़े रहें. पेपर में इससे जुड़ी काफ़ी चीजें पूछी जाती हैं. अख़बार पढ़ते रहें. किसी एक ही तरीके पर भरोसा न करें. अलग-अलग टेस्ट सीरिज देकर या कई जगहों से जानकारी लेते रहें. मानसिक रूप से ख़ुद को मजबूत बनाएं. कभी-कभी चिंता और मायूसी होना स्वाभाविक है पर अपनी कोशिशों पर भरोसा रखें और योगा या ध्यान लगाने जैसे तरीके भी अपना सकते हैं.’
महिलाओं के लिए चुनौती
सिविल सेवा की तैयारी से लेकर इस क्षेत्र में काम करने तक महिलाओं के सामने क्या अलग चुनौतियां आती हैं? इस सवाल पर सृष्टि ने कहा, ”ये सवाल मुझसे परीक्षा के साक्षात्कार में भी पूछा गया था. तब मैंने कहा था कि चुनौतियां तो हर नौकरी में होती हैं. महिला होने के कारण हो सकता है कि मेरे फैसलों की स्वीकार्यता को लेकर चुनौतियां आएं लेकिन मैं अपना काम स्पष्टता से और पूरी तैयारी के साथ करूंगी ताकि कोई समस्या न आए.”
यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में इस बार 10,468 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जिसमें से 759 ने अंतिम सफलता हासिल की है. सफल परीक्षार्थियों में 182 लड़कियां हैं.